Last Updated on Oct 26, 2020
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पैटर्न को 2015 से संशोधित किया है। जो की वर्तमान में, 7 + 2 = 9 पेपर हैं। इनमें प्रत्येक पेपर वर्णनात्मक प्रकार का है। आपको ज्ञात होगा की प्रमुख परीक्षा से पहले आपको दो सामान्य अध्ययन पेपर क्वालीफाइ करने होते हैं जिसमें आपको वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं जिनके अंक मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाते वह सिर्फ क्वालीफाइंग पेपर होते हैं | तथा मुख्य परीक्षा जिसमें दो वैकल्पिक प्रश्न पत्र होते हैं जिसमें प्रथम किसी एक भारतीय भाषा (Indian Language) अथवा अंग्रेजी, दूसरा कोई एक वैकल्पिक विषय जोकि प्रत्येक 300 अंक के होते हैं, ये भी अंक मुख्य परीक्षा में नहीं गिने जाते हैं। अभ्यर्थी अंग्रेजी में या संविधान की आठवीं अनुसूची से किसी एक भाषा को परीक्षा लिखने के माध्यम के रूप में चुन सकता हैं।
UPSC CSE Mains Zoology syllabus in Hindi (प्राणी विज्ञान)
इस लेख में हम आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के विषय प्राणी विज्ञान के पेपर 1 व पेपर 2 के पाठ्यक्रम को हिंदी भाषा में बतायेंगे | प्राणी विज्ञान एक प्रमुख विषय है जिससे संबंधित कई प्रश्न आते हैं, इसको गहनता से ध्यान पूर्वक पढ़ें:
संघ लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा प्राणी विज्ञान पेपर – 1 पाठ्यक्रम
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अरज्जुकी और रज्जुकी
(क) विभिन्न फाइलों का उपवर्गों तक वर्गीकरण एवं संबंध; एसीलोमेटा और सीलोमेटा: प्रोटोस्टोम और ड्यूटेरोस्टोम, बाइलेटरेलिया और रेडिया, प्रोटिस्टा पैराजोआ, ओनिकोफोरा तथा हेमिकॉरडाटा का स्थान; सममिति ।
(ख) प्रोटोजोआ: गमन, पोषण तथा जनन, लिंग पैरामीशियम, मॉनोसिस्टस प्लाज्मोडियम तथा लीशमेनिया के सामान्य लक्षण एवं जीवन-वृत्त ।
(ग) पोरिफेरा: कंकाल, नालतंत्र तथा जनन ।
(घ) नीडोरिया: बहुरूपता, रक्षा संरचनाएं तथा उनकी क्रियाविधि, प्रवाल भित्तियां और उनका निर्माण, मेटाजेनेसिस, ओबीलिया औरीलिया के सामान्य लक्षण एवं जीवन वृत्त ।
(ङ) प्लैटिहेल्मिथीज : परजीवी अनुकूलन : फैसिओला तथा टीनिया के सामान्य लक्षण एवं जीवन वृत्त तथा उनके रोगजनक लक्षण ।
(च) नेमेटहेल्मेंथीज : एस्केरिस एवं बुचेरेरिया के सामान्य लक्षण, जीवन वृत्त तथा परजीवी अनुकूलन ।
(छ) एनलीडा : सीलोम और विखंडता, पॉलीकीटों में जीवन-विधियां, नेरीस (नीऍथीस), केंचुआ (फेरिटिमा) तथा जोंक के सामान्य लक्षण तथा जीवन-वृत्त ।
(ज) आर्थोपोडा : क्रस्टेशिया में डिंबप्रकार और परजीविता, आर्थोपोडा (झींग, तिलचट्टा तथा बिच्छु) में दृष्टि और श्वसन; कीटों (तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, मधुमक्खी तथा तितली) में मुखांगों का रूपांतरण, कीटों में कायांतरण तथा इसका हार्मोनी नियमन, दीमकों तथा मधुमक्खियों का सामाजिक व्यवहार ।
(झ) मोलस्का : अशन, श्वसन, गमन, लैमेलिडेन्स, पाइला, तथा सीपिया के सामान्य लक्षण एवं जीवन वृत्त, गैस्ट्रोपोडों में ऐंठन तथा अव्यावर्तन ।
(ज) एकाइनोडर्मेटा : अशन, श्वसन, गमन, डिम्ब प्रकार, एस्टीरियस के सामान्य लक्षण तथा जीवन-वृत्त ।
(ट) प्रोटोकॉडेटा : रज्युकियों का उद्भव, बैंकियोस्टोमा तथा हईमानिया के सामान्य लक्षण तथा जीवन-वृत्त
(ठ) पाइसौज : श्वसन गमन तथा प्रवासन ।
(ड) एम्फिबियाः चतुष्पादों का उद्भव, जनकीय देखभाल, शावकांतरण ।
(ढ) रेप्टीलिया वर्ग : सरीसृपों की उत्पत्ति, करोटि के प्रकार, स्फेनोडॉन तथा मगरमच्छों का स्थान ।
(ण) एवीज; पक्षियों का उद्भव, उड्डयन-अनुकूलन तथा प्रवासन ।
(थ) कशेरूकी प्राणियों के विभिन्न तंत्रों का तुलनात्मक, कार्यात्मक शरीर (अध्यावरण तथा इसके व्युत्पाद, अंत:कंकाल, चलन अंग, पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, हृदय तथा महाधमनी चापों सहित परिसंचारी तंत्र, मूत्र-जनन तंत्र, मस्तिष्क तथा ज्ञानेन्द्रियां (आंख तथा नाक) ।
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पारिस्थितिकी
(क) जीवमंडल : जीवमंडल की संकल्पना; बायोम, जैवभूरसायन चक्र, ग्रीन हाउस प्रभाव सहित वातावरण में मानव प्रेरित परिवर्तन, पारिस्थितिक अनुक्रम, जीवोम तथा ईकोटोन, सामुदायिक पारिस्थितिक ।
(ख) परितंत्र की संकल्पना, पारितंत्र की संरचना एवं कार्य, पारितंत्र के प्रकार, पारिस्थितिक अनुक्रम, पारिस्थितिक अनुकूलन ।
(ग) समष्टि, विशेषताएं, समष्टि गतिकी, समष्टि स्थिरीकरण ।
(घ) प्राकृतिक संसाधनों का जैव विविधता एवं विविधता संरक्षण ।
(ङ) भारत का वन्य जीवन ।
(च) संपोषणीय विकास के लिए सुदूर सुग्राहीकरण ।
(छ) पर्यावरणीय जैवनिम्नीकरण, प्रदूषण, तथा जीवमंडल पर इसके प्रभाव एवं उसकी रोकथाम ।
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जीव पारिस्थितिकी
(क) व्यवहार : संवेदी निस्यदंन, प्रतिसंवेदिता चिह्न उद्दीपन, सीखना एवं स्मृति, वृत्ति, अभ्यास, प्रानुकूलन, अध्यंकन ।
(ख) चालन में हार्मोनों की भूमिका, संचेतन प्रसार में फीरोमोनों की भूमिका; गोपकता, परभक्षी पहचान, परभक्षी तौर तरीके, प्राइमेटों में सामाजिक सोपान, कीटों में सामाजिक संगठन ।
(ग) अभिविन्यास, संचालन, अभिग्रह, जैविकलय, जैविक नियतकालिकता, ज्वारीय, ऋतुपरक तथा दिवसप्रायलय ।
(घ) यौन द्वन्द्व, स्वार्थपरता, नातेदारी एवं परोपकारिता समेत प्राणी-व्यवहार के अध्ययन की विधियां ।
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आर्थिक प्राणि विज्ञान
(क) मधुमक्खी पालन, रेशमकीट पालन, लाखकीट पालन, शफरी संवर्ध, सीप पालन, झींगा पालन, कृमि संवर्ध ।
(ख) प्रमुख संक्रामक एवं संचरणीय रोग (मलेरिया, फाइलेरिया, क्षय रोग, हैजा तथा एड्स), उनके वाहक, रोगाणु तथा रोकथाम ।
(ग) पशुओं तथा मवेशियों के रोग, उनके रोगाणु (हेलमिन्थस) तथा वाहक (चिंचड़ी कुटकी, टेबेनस, स्टोमोक्सिस) ।
(घ) गन्ने के पीडक (पाइरिला परपुसिएला), तिलहन का पीडक (ऐकिया जनाटा) तथा चावल का पीडक (सिटोफिलस ओरिजे) ।
(ङ) पारजीनी जंतु ।
(च) चिकित्सकीय जैव प्रौद्योगिकी, मानव आनुशक रोग एवं आनुवंशिक काउंसलिंग, जीन चिकित्सा ।
(छ) विधि जैव प्रौद्योगिकी ।
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जैव सांख्यिकी
प्रयोगों की अभिकल्पना; निराकरणी परिकल्पना ; सहसंबंध, समाश्रयण, केन्द्रीय प्रवृत्ति का वितरण एवं मापन, काई स्कवेयर, विद्यार्थी-टेस्ट, एफ-टेस्ट (एकमार्गी तथा द्विमार्गी एफ-टेस्ट)
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उपकरणीय पद्धति
(क) स्पेक्ट्रमी प्रकाशमापित्र प्रावस्था विपर्यास एवं प्रतिदीप्ति सूक्ष्म दर्शिकी, रेडियोएक्टिव अनुरेखक, द्रुत अपकेंद्रित्र, जेल एलेक्ट्रोफोरेसिस, PCR, ALISA, FISH एवं गुणसूत्रपेटिंग।
(ख) इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी (TEM, SEM) ।
संघ लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा प्राणी विज्ञान पेपर – 2 पाठ्यक्रम
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कोशिका जीव विज्ञान
(क) कोशिका तथा इसके कोशिकांगों (केंद्रक, प्लाजमा, झिल्ली, माइटोकॉड्रिया, गॉल्जीकाय, अंतर्द्रव्यी जालिका, राइबोसोम तथा लाइसोसोम्स) की संरचना एवं कार्य, कोशिका-विभाजन (समसूत्री तथा अर्द्धसूत्री), समसूत्री तर्क तथा समसूत्री तंत्र, गुणसूत्र गति । क्रोमोसोम प्रकार पॉलिटीन एवं लैंव्रश, क्रोमौटिन की व्यवस्था, कोशिकाचक्र नियमन ।
(ख) न्यूक्लीइक अम्ल सांस्थतिकी, DNA अनुकल्प, DNA प्रतिकृति अनुलेखन, RNA प्रक्रमण, स्थानांतरण, प्रोटीन वलन एवं परिवहन ।
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आनुवंशिकी
(क) जीन की आधुनिक संकल्पना, विभाक्त जीन, जीन नियमन, आनुवांशिक-कूट।
(ख) लिंग गुणसूत्र एवं उनका विकास, ड्रोसोफिला तथा मानव में लिंग-निर्धारण ।
(ग) वंशागति के मेंडलीय नियम, पुनर्योजन, सहलग्नता, बहुयुग्म, विकल्पी, रक्त समूहों की आनुवंशिकी, वंशावली विश्लेषण, मानव में वंशागत रोग ।
(घ) उत्परिवर्तन तथा उत्परिवर्तजनन ।
(ङ) पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी, वाहकों के रूप में प्लैजमिड्स, कॉसमिड्स, कृत्रिम गुणसूत्र, पारजीनी, DNA क्लोनिंग तथा पूर्ण क्लोनिंग (सिद्धांत तथा क्रिया पद्धति) ।
(च) प्रोकैरियारेट्स तथा यूकैरियरेट्स में जीन नियमन तथा जीन अभिव्यक्ति ।
(छ) संकेत अणु, कोशिका मृत्यु, संकेतन पथ में दोष तथा परिणाम ।
(ज) RELP RAPD एवं AFLP तथा फिंगरप्रिंटिंग में अनुप्रयोग, राइबोजाइम प्रौद्योगिकी, मानव जीनोम परियोजना, जीनोमिक्स एवं प्रोटोमिक्स ।
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विकास
(क) जीवन के उद्भव के सिद्धांत ।
(ख) विकास के सिद्धांत; प्राकृतिक वरण, विकास में उत्परिवर्तन की भूमिका, विकासात्मक प्रतिरूप, आण्विक ड्राइव, अनुहरण, विभिन्नता, पृथक्करण एवं जाति उद्भवन ।
(ग) जीवाश्म आंकड़ों के प्रयोग से घोड़े, हाथी तथा मानव का विकास ।
(घ) हार्डी-वीनवर्ग नियम ।
(ङ) महाद्वीपीय विस्थापन तथा प्राणियों का वितरण ।
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वर्गीकरण-विज्ञान
(क) प्राणिविज्ञानिक नामावली, अंतर्राष्ट्रीय नियम, क्लैडिस्टिक्स, आण्विक वर्गकी एवं जैव विविधता ।
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जीव रसायन
(क) कार्बोहाइड्रेटों, वसाओं, वसाअम्लों एवं कोलस्ट्रोल, प्रोटीनों एवं अमीनोअम्लों, न्यूक्लिइक अम्लों की संरचना एवं भूमिका बायो एनर्जेटिक्स ।
(ख) ग्लाइकोसिस तथा क्रब्स चक्र, ऑक्सीकरण तथा अपचयन, ऑक्सीकरणी फास्फोरिलेशन, ऊर्जा संरक्षण तथा विमोचन, ATP चक्र, चक्रीय AMP-इसकी संरचना तथा भूमिका ।
(ग) हार्मोन वर्गीकरण (स्टेराइड तथा पेप्टाइड हार्मोन), जैव संश्लेषण तथा कार्य ।
(घ) एंजाइम : क्रिया के प्रकार तथा क्रिया विधियां ।
(ङ) विटामिन तथा को-एंजाइम ।
(च) इम्यूनोग्लोब्यूलिन एवं रोधक्षमता ।
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कार्यिकी (स्तनधारियों के विशेष संदर्भ में)
(क) रक्त की संघटना तथा रचक, मानव में रक्त समूह तथा RH कारक, स्कंदन के कारक तथा क्रिया विधि, लोह उपापचय, अम्ल क्षारक साम्य, तापनियमन, प्रतिस्कंदक ।
(ख) हीमोग्लोबिन : रचना प्रकार एवं ऑक्सीजन तथा कार्बनडाईऑक्साइड परिवहन में भूमिका ।
(ग) पाचन एवं अवशोषण : पाचन में लार ग्रंथियों, यकृत, अग्न्याशय तथा आंत्र ग्रंथियों की भूमिका ।
(घ) उत्सर्जन : नेफ्रान तथा मूत्र विरचन को नियमन; परसरण नियमन एवं उत्सर्जी उत्पाद ।
(ङ) पेशी : प्रकार, कंकाल पेशियों की संकुचन की क्रिया विधि, पेशियों पर व्यायाम का प्रभाव ।
(च) न्यूरॉन : तंत्रिका आवेग-उसका चालन तथा अंतर्ग्रथनी संचरण: न्यूरोट्रांसमीटर ।
(छ) मानव में दृष्टि, श्रवण तथा घ्राणबोध ।
(ज) जनन की कार्यकी, मानव में यौवनारंभ एवं रजोनिवृत्ति ।
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परिवर्धन जीवविज्ञान
(क) युग्मक जनन; शुक्र जनन; शुक्र की रचना, मैमेलियन शुक्र की पात्रे एवं जीवे धारिता । अंड जनन, पूर्ण शक्तता, निषेचन, मार्कोजेनेसिस एवं मार्कोजेन, ब्लास्टोजेनेसिस, शरीर अक्ष रचना की स्थापना, फेट मानचित्र, मेढक एवं चूजे में गेस्टुलेशन, चूजे में विकासाधीन जीन, अंगातरक जीन, आंख एवं हृदय का विकास, स्तनियों में अपरा ।
(ख) कोशिका वंश परंपरा, कोशिका-कोशिका अन्योन्य क्रिया, आनुवांशिक एवं प्रेरित विरूपजनकता, एफबीया में कायांतरण के नियंत्रण में वायरोक्सिन की भूमिका, शावकीजनन एवं चिरभ्रूणता, कोशिका मृत्यु, कालप्रभावन ।
(ग) मानव में विकासीय जीन, पात्रे निषचन एवं भ्रूण अंतरण, क्लोनिंग ।
(घ) स्टेमकोशिका: स्रोत, प्रकार एवं मानव कल्याण में उनका उपयोग ।
(ङ) जाति आवर्तन नियम ।
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UPSC IAS Mains Optional Subject Syllabus:
Jaise Bsc & MSc k exam me… answer dete hai..
Waise to UPSC me nhi dena hai…bcz UPSC ne word limit laGaye hai 150 only
To plz tell me …ki kaise answer likhna hoga UPSC ke point of view se
UPSC ke liye aap answer ko jitna focused aur easy way me samjha saken wo better rahta hai.