Last Updated on Oct 26, 2020
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पैटर्न को 2015 से संशोधित किया है। जो की वर्तमान में, 7 + 2 = 9 पेपर हैं। इनमें प्रत्येक पेपर वर्णनात्मक प्रकार का है। आपको ज्ञात होगा की प्रमुख परीक्षा से पहले आपको दो सामान्य अध्ययन पेपर क्वालीफाइ करने होते हैं जिसमें आपको वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं जिनके अंक मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाते वह सिर्फ क्वालीफाइंग पेपर होते हैं | तथा मुख्य परीक्षा जिसमें दो वैकल्पिक प्रश्न पत्र होते हैं जिसमें प्रथम किसी एक भारतीय भाषा (Indian Language) अथवा अंग्रेजी, दूसरा कोई एक वैकल्पिक विषय जोकि प्रत्येक 300 अंक के होते हैं, ये भी अंक मुख्य परीक्षा में नहीं गिने जाते हैं। अभ्यर्थी अंग्रेजी में या संविधान की आठवीं अनुसूची से किसी एक भाषा को परीक्षा लिखने के माध्यम के रूप में चुन सकता हैं।
UPSC CSE Mains Geology syllabus in Hindi (भूविज्ञान)
इस लेख में हम आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के विषय भूविज्ञान के पेपर 1 व पेपर 2 के पाठ्यक्रम को हिंदी भाषा में बतायेंगे | भूविज्ञान एक प्रमुख विषय है जिससे संबंधित कई प्रश्न आते हैं, इसको गहनता से ध्यान पूर्वक पढ़ें:
संघ लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा भूविज्ञान पेपर – 1 पाठ्यक्रम
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सामान्य भूविज्ञान:
सौरतंत्र, उल्कापिंड, पृथ्वी का उद्भव एवं अंतरंग तथा पृथ्वी की आयु, ज्वालामुखी-कारण एवं उत्पाद, ज्वालामुखी पट्टियां, भूकंप-कारण, प्रभाव, भारत के भूकंप क्षेत्र, द्वीपाभ चाप, खाइयां एवं महासागर मध्य कटक; महाद्वीपीय अपोढ; समुन्द्र अधस्थल विस्तार, प्लेट विवर्तनिकी; समस्थिति ।
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भूआकृति विज्ञान एवं सुदूर-संवेदन:
भूआकृति विज्ञान की आधारभूत संकल्पना; अपक्षय एवं मृदानिर्माण; स्थलरूप; ढाल एवं अपवाह; भूआकृतिक चक्र एवं उनकी विवक्षा; आकारिकी एवं इसकी संरचनाओं एवं आश्मिकी से संबंध; तटीय भूआकृति विज्ञान; खनिज पुर्वेक्षण में भूआकृति विज्ञान के अनुप्रयोग, सिविल इंजीनियरी; जल विज्ञान एवं पर्यावरणीय अध्ययन; भारतीय उपमहाद्वीप का भूआकृति विज्ञान। वायव फोटो एवं उनकी विवक्षा-गुण एवं सीमाएं; विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम; कक्षा परिभ्रमण उपग्रह एवं संवेदन प्रणालियां; भारतीय दूर संवेदन उपग्रह, उपग्रह दत्त उत्पाद; भू-विज्ञान में दूर संवेदन के अनुप्रयोग; भौगोलिक सूचना प्रणालियां (GIS) एवं विश्वव्यापी अवस्थन प्रणाली (GIS) – इसका अनुप्रयोग।
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संरचनात्मक भूविज्ञान
भूवैज्ञानिक मानचित्र एवं मानचित्र पठन के सिद्धांत, प्रक्षेप आरेख प्रतिबल एवं विकृति दीर्घवृत तथा प्रत्यास्थ, सुघट्य एवं श्यन पदार्थ के प्रतिबल-विकृति संबंध; विरूपति शैली में विकृति चिह्नक; विरूपण दशाओं के अंतर्गत खनिजों एवं शैलों का व्यवहार; वलन एवं भ्रंश वर्गीकरण एवं यांत्रिकी; वलनों, शल्कनों, संरेखणों, जोडों एवं भ्रशों, विषमविन्यासों का संरचनात्मक विश्लेषण; क्रिस्टलन एवं विरूपण के बीच समय संबंध ।
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जीवाश्म विज्ञान
जाति-परिभाषा एवं नामपद्धित; गुरू जीवाश्म एवं सूक्ष्म जीवाश्म; जीवाश्म संरक्षण की विधियां; विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवाश्म; सह संबंध, पेट्रोलियम अन्वेक्षण, पुराजलवायवी एवं पुरासमुद्रविज्ञानीय अध्ययनों में सूक्ष्म जीवाश्मों का अनुप्रयोग; होमिनिडी एक्विड़ी एवं प्रोबोसीडिया में विकासात्मक प्रवृति; शिवालिक प्राणिजात; गोडंवाना वनस्पतिजात एवं प्राणिजात एवं इसका महत्व; सूचक जीवाश्म एवं उनका महत्व ।
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भारतीय स्तरिकी
स्तरिकी अनुक्रमों का वर्गीकरण : अश्मस्तरिक जैवस्तरिक, कालस्तरिक एवं चुम्बकस्तरिक तथा उनका अंतसंबंध; भारत की कैब्रियनपूर्व शैलों का वितरण एवं वर्गीकरण; प्राणिजात वनस्पतिजात एवं आर्थिक महत्व की दृष्टि से भारत की दृश्यजीवी शैलों के स्तरिक वितरण एवं अश्मविज्ञान का अध्ययन; प्रमुख सीमा समस्याएं-कैब्रियन, कब्रियन पूर्व, पर्मियन/ट्राईसिक, केंटैशियस/तृतीयक एवं प्लायोसिन/प्लीस्टोसिन; भूवैज्ञानिक अतीत में भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायवी दशाओं, पुराभूगोल एवं अग्नेय सक्रियता का अध्ययन; भारत का स्तरिक ढांचा; हिमालय का उद्भव।
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जल भूविज्ञान एवं इंजीनियरी भूविज्ञान
जल वैज्ञानिक चक्र एवं जल का जननिक वर्गीकरण; अवपृष्ठ जल का संचलन; वृहत ज्वार; सरचंता, पराक्राम्यता, द्रवचालित चालकता, परगम्यता एवं संचयन गुणांक, ऐक्विफर वर्गीकरण; शैलों की जलधारी विशेषताएं: भूजल रसायनिकी; लवणजल अंतर्वेधन; कूपों के प्रकार, वर्षाजल संग्रहण; शैलों के इंजीनियरी गुण-धर्म; बांधों, सुरगों, राजमार्गों एवं पुलों के लिए भूवैज्ञानिक अन्वेषण; निर्माण सामग्री के रूप में शैल; भूस्खलन-कारण, रोकथाम एवं पुनर्वास; भूकंप रोधी संरचनाएं ।
संघ लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा भूविज्ञान पेपर – 2 पाठ्यक्रम
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खनिज विज्ञान
प्रणालियों एवं सममिति वर्गों में क्रिस्टलों का वर्गीकरण क्रिस्टल संरचनात्मक संकेतन की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली क्रिस्टल सममिति को निरूपित करने के लिए प्रक्षेप आरेख का प्रयोग; किरण क्रिस्टलकी के तत्व।
शैलकर सिलिकेट खनिज समूहों के भौतिक एवं रासायनिक गुण; सिलिकेट का संरचनात्मक वर्गीकरण; आग्नेय एकायांतरित शैल के सामान्य खनिज; कार्बोनेट, फास्फेट सल्फाइड एवं हेलाइड समूहों के खनिज; मृत्तिका खनिज । सामान्य शैलकर खनिजों के प्रकाशिक गुणधर्म; खनिजों में बहुवर्णता, विलोप कोण, द्विअपवर्तन (डबल रिफंक्शन बाईरेफ्रिजेंस), यमलन एवं परिक्षेपण ।
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आग्नेय एवं कायांतरित शैलिकी
मैगमा जनन एवं क्रिस्टलन; ऐल्बाइट-ऐनॉर्थाइट का क्रिस्टलन; डायोप्साइड-ऐनॉर्थाइट एवं डायोप्साइड-वोलास्येनाइट-सिलिका प्रणालियां; बॉर्वन का अभिक्रिया सिद्धांत; मैग्मीय विभेदन एवं स्वांगीकरण; आग्नेय शैलों के गठन एवं संरचनाओं का शैलजनननिक महत्व; ग्रेनाइट, साइनाइड, डायोराइट, अल्पसिलिक एवं अत्यल्पसिलिक समूहों, चाकाइट, अनॉर्थोसाइट एवं क्षारीय शैलों की शैलवर्णना एवं शैल जनन; कार्बोनेटाइट्स, डेकन ज्वालामुखी शैल-क्षेत्र ।
कायांतरण प्ररूप एवं कारक; कायांतरी कोटियां एवं संस्तर; प्रावस्था नियम; प्रादेशिक एवं संस्पर्श कायांतरण संलक्षणी; ACF एवं AKF आरेख; कायांतरी शैलों का गठन एवं संरचना; बालुकामय, मृण्मय एवं अल्पसिलिक शैलों का कायांतरण; खनिज समुच्चय पश्चगतिक कायांतरण तत्वांतरण एवं ग्रेनाइटीभवन; भारत का मिग्मेटाइट, कणिकाश्म शैल प्रदेश ।
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अवसादी शैलिकी
अवसाद एवं अवसादी शैल निर्माण प्रक्रियाएं, प्रसंघनन एवं शिलीभवन, संखंडाश्मी एवं असंखंडाश्मी शैल-उनका वर्गीकरण, शैलवर्णना एवं निक्षेपण वातावरण; अवसादी संलक्षणी एवं जननक्षेत्र; अवसादी संरचनाएं एवं उनका महत्व; भारी खनिज एवं उनका महत्व; भारत की अवसादी द्रोणियां ।
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आर्थिक भूविज्ञान
अयस्क, अयस्क खनिज एवं गैंग, अयस्क का औसत प्रतिशत, अयस्क निक्षेपों का वर्गीकरण; खनिज निक्षेपों की निर्माणप्रक्रिया; अयस्क स्थानीकरण के नियंत्रण; अयस्क गठन एवं संरचनाएं; धातु जननिक युग एवं प्रदेश; एल्यूमिनियम, क्रोनियम, ताम्र, स्वर्ण, लोह, लेड, जिंक मैंगनीज, टिटैनियम, युरेनियम एवं थेरियम तथा औद्योगिक खनिजों के महत्वपूर्ण भारतीय निक्षेपों का भूविज्ञान; भारत में कोयला एवं पेट्रोलियम निपेक्ष: राष्ट्रीय खनिज नीति; खनिज संसाधनों का संरक्षण एवं उपयोग; समुद्री खनिज संसाधन एवं समुद्र नियम ।
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खनन भूविज्ञान
पूर्वेक्षण की विधियां-भूवैज्ञानिक, भूभौतिक, भूरासायनिक एवं भू-वानस्पतिक; प्रतिचयन प्रविधियां, अयस्क निचय प्राक्कलन; धातु अयस्कों, औद्योगिक खनिजों, समुद्री खनिज संसाधनों एवं निर्माण प्रस्तरों के अन्वेषण एवं खनिज की विधियां; खनिज सन्जीकरण एवं अयस्क प्रसाधन।
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भूरासायनिक एवं पर्यावरणीय भूविज्ञान
तत्वों का अंतरिक्षी बाहुल्य: ग्रहों एवं उल्कापिंडों का संघटन; पृथ्वी की संरचना एवं संघटन एवं तत्वों का वितरण; लेश तत्व; क्रिस्टल रासायनिकी के तत्व-रासायनिक आवंध, समन्वय संख्या, समाकृतिकता एवं बहरूपता; प्रांरभिक उष्मागतिकी।
प्राकृतिक संकट-बाढ़, वृहत क्षरण, तटीय संकट, भूकंप एवं ज्वालामुखीय सक्रियता तथा न्यूनीकरण; नगरीकरण, खनन औद्योगिक एवं रेडियोसक्रिय अपरद निपटान, उर्वरक प्रयोग, खनन अपरद एवं फ्लाई ऐश सन्निक्षेपण के पर्यावरणीय प्रभाव; भौम एवं भू-पृष्ठ जल प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण; पर्यावरण संरक्षण-भारत में विधायी उपाय; समुद्र तल परिवर्तन-कारण एवं प्रभाव ।
अभी आपने संघ लोक सेवा आयोग प्रमुख परीक्षा के भूविज्ञान पढ़ा, यदि आपको इससे सम्बंधित कोई भी प्रश्न हो तो Comment Box में जाकर पूछ सकते हैं, और आप हमारे Free IAS Prelims Quiz को Attempt कर सकते हैं जिसके द्वारा आप अपनी तैयारियों को परख सकते हैं |
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